मैया का हार जहां गिरा, वही कहलाया मैहर


मैहर का वह त्रिकूट पर्वत जहां शारदा माता विराजी हैं।

मप्र में भोपाल से करीब 465 किमी दूर मैहर नगर अब एक जिला मुख्यालय है। इस नगर की ख्याति यहां मौजूद सुरम्य त्रिकूट  पर्वत और उस पर मौजूद शारदा माता के मंदिर के कारण है। यह स्थान विख्यात देवी भक्त और बुंदेलखंड के योद्धा आल्हा-ऊदल की साधना स्थली और देवी भक्ति के लिए भी जाना जाता है। किवदंती है कि जब सती के शरीर को अपने कंधे पर लिए महादेव तांडव कर रहे थे, उस समय भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के पार्थिव शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए थे। इसी समय माता सती के गले का हार जिस स्थान पर गिरा था, उसे मैहर कहा गया, मैहर, यानी मैया का हार। यह भी मान्यता है कि 12 वीं शताब्दी में सबसे पहले महोबा के सामंत आल्हा ने ही इस पर्वत पर देवी मां के दर्शन किए थे और इन्हें शारदा देवी नाम दिया था।

मैहर रेलवे स्टेशन


 मैहर तक कैसे पहुंचें...

भोपाल से मैहर की दूरी करीब 465 किमी है और भोपाल तथा रानी कमलापति रेलवे स्टेशन सहित अन्य शहरों से मैहर तक के लिए अनेक ट्रेन उपलब्ध हैं। इसी तरह सागर, रीवा और जबलपुर से भी ट्रेन उपलब्ध हैं। बस के माध्यम से भी यहां पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन पर उतरते ही यदि आप सीधे मंदिर में दर्शन करने जाना चाहते हैं तो 20-20 रूपए प्रति सवारी के हिसाब से स्टेशन से ऑटो मिलते हैं, लेकिन आप शेयरिंग में नहीं जाना चाहते हैं तो 100 रुपए खर्च कर अपना ऑटो अलग से ले जा सकते हैं जो आपको मंदिर परिसर के सामने ही छोड़ेेगा। मंदिर परिसर के आसपास पूजा-प्रसादी सामग्री की अनेक दुकानें हैं, यहां के विक्रेता देवी को अर्पित करने के लिए अनेक तरह की सामग्रियों का आपको ऑफर करेंगे, लेकिन आप अपनी श्रद्धानुसार ही सामग्री खरीदें। यहीं जिस दुकान से आप प्रसादी खरीदते हैं वहीं पर अपने जूते-चप्पल आदि निशुल्क सुरक्षित रख सकते हैं। इसके बाद आपकी मंदिर परिसर में यात्रा प्रारंभ होती है। यदि आपको स्नान आदि के लिए किसी होटल या लॉज में रुकना है तो सभी कुछ रेलवे स्टेशन से 2-3 किमी के दायरे में और मंदिर के पास ही मौजूद हैं, लेकिन यहां आपको 24 घंटे का किराया चुकाना होगा। यह 800 रुपए से 3000 रुपए तक सुविधाओं को देखते हुए हा ेसकता है। लेकिन यदि आपको लग्जरी सुविधाएं नहीं चाहिए और केवल स्नान करके ही मंदिर जाना चाहते हैं तो प्रसादी बेंचने वालों के पास ही इसकी व्यवस्था है, किसी भी प्रसादी वाले को 100 रुपए देकर आप उसकी ही दुकान में बने पुराने घरों जैसे सार्वजनिक स्नानागार, टॉयलेट आदि का उपयोग कर अपने कपड़े आदि बदलकर मंदिर के लिए प्रस्थान कर सकते हैें।  

पहाड़ी पर मंदिर के लिए आने जाने का पैदल रास्ता।

पहाड़ी पर मंदिर आने जाने का रोप वे

जंगल, पहाड़ों के बीच रोप वे से दिखाई देता विहंगम दृश्य

दो विकल्प: पैदल सीढिय़ां और रोप वे

मंदिर तक पहुंचने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं, पहला विकल्प है पैदल सीढिय़ों से चलकर मंदिर तक पहुंचना। इसके लिए आपको करीब 1052 सीढिय़ों को चढऩा पड़ता है, पूरे रास्ते में सीढिय़ों पर छाया है, इसलिए बारिश और तेज धूप का असर नहीं पड़ता, यदि आप सक्षम हैं, युवा और निरोगी हैं तो यह मार्ग बेहतर है क्योंकि इसका अलग ही आनंद है। यह मार्ग निशुल्क है, इस रास्ते में आपको जगह-जगह सीढिय़ों पर ही पेयजल, स्वल्पाहार और अन्य सामग्री भी सुलभ हो जाएंगी। जबकि दूसरा विकल्प है रोप-वे का । इसके लिए आपको पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, अन्यथा मंदिर परिसर में ही नीचे बने कार्यालय से आपको विंडो से टिकट खरीदना होंगे। रोप वे से मंदिर आने-जाने के लिए प्रति व्यक्ति 150 रुपए का टिकट लेना होता है। इसके बाद कतार बद्ध होकर आपको इंतजार करना होगा अपनी बारी का। आपके टिकट के नंबर के आधार पर आपको टोकन दिया जाएगा, इसी टोकन नंबर का माइक से ऐलान होने पर आपकी बारी आने पर आपको रोप वे के लिए आगे बढऩा होगा। रोप वे से जाने के लिए प्रति ट्रॉली चार लोग ही बैठ सकते हैं। आपका नंबर आते ही रोप वे की ट्रॉली में आप बैठेंगे और फिर गेट बंद करके आपकी करीब 9 मिनट की यात्रा शुरू हो जाती है। इस रोप से जाने का आनंद यह है कि एक तो आपको बिना परिश्रम और बिना थकान के ही नीचे से पहाड़ी के शिखर तक पहुंचने का विकल्प मिलता है और दूसरा यह कि आप ट्रॉली से ऊपर जाते और नीचे उतरते समय पूरे जंगल, पहाड़ों, तालाबों और नीचे बसे शहर-मंदिर आदि के विहंगम दृश्य को देखकर रोमांचित हो सकते हैं। तीसरा विकल्प यह भी है कि यदि आप पैदल ही सीढिय़ों के माध्यम से नीचे से पहाड़ी चढकऱ मंदिर पहुंचते हैँ और वहां से रोप वे के  जरिए नीचे आना चाहते हैं तो यह भी कर सकते हैं, इसके लिए मंदिर के पास ही ऊपर बने रोप वे कार्यालय में 100 रुपए प्रति व्यक्ति के मान से टिकट लेकर आप लौटने की यात्रा रोप वे से कर सकते हैं। 

शारदा माई के अलौकिक दर्शन...

शारदा माता 
शारदा माता के मंदिर का प्रवेश द्वार
शारदा माता मंदिर का निकासी द्वार
मंदिर परिसर में प्रवेश के साथ ही देवी मां के जयकारों, मन्नत के धागों, चुनरियों, परिसर में मौजूद छोटे-छोटे अनेक देवालयों का आपको दर्शन होता है। लेकिन आपकी आंखें केवल शारदा माता को एक पल निहारने की ही रहती है। ऊपर पहुंचकर भी आपको कतार में अपनी बारी का इंतजार करना होगा और फिर करीब 12-15 सीढियां चढकऱ माता के दरबार में पहुंचने का सौभाग्य मिलता है। यहां पहुंचते ही शारदा माई के अलौकिक दर्शन होते हैं। यहां दर्शन, प्रसादी-भेंट अर्पित कर आपको पल भर में ही आगे बढऩा होता है। यकीनन यहां रुककर मां के स्वरूप को कुछ देर निहारने की मंशा सभी की होती है, लेकिन यह संभव नहीं हो पाता और सेवादार दर्शनार्थियों को लगातार आगे बढ़ाते रहते हैं। मंदिर परिसर में नारियल फोडऩे और भोजन आदि करने पर प्रतिबंध है। यह मंदिर की सुरक्षा और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है। शारदा माई के दर्शन के बाद आगे बढ़ते ही माई के ही परिक्रमा पथ में नरसिंह अवतार, हनुमान जी, महाकाली मां और फिर बाहर काल भैरव के दर्शन होते हैं। दर्शन कर लौटने के लिए दूसरा और गर्भग्रह के पीछे वाला मार्ग है। यहां आप कुछ समय बैठकर अपनी थकान भी मिटा सकते हैं और माता का ध्यान भी कर सकते हैं। फोटोग्राफी करने के लिए भी यह स्थान बेहतर है, यहां से प्रकृति की खूबसूरती को निहारा और अपने कैमरों में कैद किया जा सकता है। पहाड़ी पर माई के दर्शन सहित अन्य देवी देवताओं के दर्शन-पूजा कर आप पैदल सीढियों या फिर रोप वे से नीचे उतरकर अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं। आपको मंदिर परिसर के पास ही जगह-जगह जलपान गृह मिलेंगे, जहां आप हल्का-फुल्का आहार ग्रहण कर सकते हैं। मैहर में शारदा माई के दर्शन करने के साथ ही आप ऑटो या अपने वाहन से मंदिर से करीब ढाई किलो मीटर दूर आल्हा के अखाड़े, आल्हा मंदिर और आल्हा तालाब को देखने भी जा सकते हैं। इसके अलावा इच्छापूर्णि माता मंदिर के दर्शन भी आप कर सकते हैं, जो करीब 10 किमी दूरी पर हैं। इस तरह आप एक ही दिन में शारदा माता के दर्शन सहित मैहर के इस भ्रमण को पूरा कर अपने घर वापस हो सकते हैें। 
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