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जैन धर्मावलंबी छात्र-छात्राओं को भोजन परोसते जैन मिलन के संस्थापक अध्यक्ष अतुल जैन। |
पर्यूषण पर्व यानी जैन समाज में दस दिन के दस लक्षण पर्व। इस पर्व के दौरान जैन धर्मावलंबियों द्वारा व्रत ही नहीं किए जाते बल्कि अनेक आचार-विचार और विधि विधानों का भी पालन करना होता है। जो व्रत नहीं कर पाते उनको भी इतना जरूर करना होता है कि वे बाहर की अशुद्ध वस्तुओंं का सेवन न करें। घर का ही सात्विक भोजन और छने हुए पानी का उपयोग करें। लेकिन अपनी शिक्षा के लिए अपने घर और शहर से बाहर रह रहे जैन युवाओं के लिए इस पर्व में बड़ा संकट खड़ा हो जाता है कि बाहर रहकर अपने धर्म और नियमों का पालन कैसे करें। ऐसे में भगवान शीतलनाथ के चार कल्याणकों से पवित्र विदिशा नगरी में जैन मिलन नामक संस्था ने छह वर्ष से ऐसा अभिनव प्रयोग कर रखा है कि पर्यूषण पर्व में भी अपने घर से दूर विदिशा में पढ़ रहे युवाओं को जैन धर्म के नियम और विधि अनुसार सात्विक भोजन नियमित रूप से उपलब्ध हो सके। इससे जहां जैन मिलन की टोली परमार्थ के अपने धर्म का पालन कर रही है, वहीं ये टोली उन छात्र-छात्राओं के धर्म और नियम पालन में भी सहायक सिद्ध हो रही है जिन्हें पर्यूषण के दौरान अपने घर में न रहने के कारण सात्विक भोजन तक नसीब नहीं हो पाता। इतना ही नहीं, जैन मिलन की इस पहल से वे माता-पिता सबसे ज्यादा खुश और संतुष्ट हैं जिन्हें हमेशा मलाल रहता है कि इस पर्वराज पर्यूषण में भी उनके बच्चे घर से बाहर हैं और उन्हें बाहरी भोजन, होटल, मैस या टिफिन पर निर्भर रहना पड़ता है। इन माता-पिता को पूरी तरह संतुष्टि है कि दस लक्षण पर्व के दौरान उनकी संतान भले ही घर से दूर हो, लेकिन विदिशा में जैन धर्मावलंबियों का एक ऐसा समूह है जो उनकी इस चिंता को समझते हुए उनके बच्चों को पूरी तरह सात्विक भोजन उपलब्ध करा रहा है वह भी पूरी तरह निशुल्क। जैन मिलन की यह टोली यकीनन इस पहल के लिए साधुवाद की पात्र हैं, साथ ही ये मामला जैन मिलन, यहां भोजन करके खुद को धर्म से जोड़े रहने वाले छात्र छात्राओं और उनके माता-पिता की संतुष्टि का भी है। इस तरह एक पहल अनेक परिवारों के धर्म पालन और आत्मसंतुष्टि की पहल है।
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जैन धर्मावलंबी छात्र-छात्राओं को भोजन परोसते जैन मिलन के सदस्य। |
एक और अच्छी बात है कि जैन मिलन विदिशा ने इस सात्विक जैन भोजन के लिए इंद्रप्रस्थ जैन मंदिर के ठीक सामने एक भवन की व्यवस्था की है, जहां जैन परिवार ही भोजन बनाता है और वहीं सभी जैन धर्मावलंबी युवा सम्मानजनक तरीके से आसन पर बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। इससे पहले ये युवा सामने ही मौजूद जैन मंदिर में तीर्थंकर भगवान के दर्शन करते हैं और फिर भोजन ग्रहण कर वापस होते हैं। बता दें कि विदिशा के सम्राट अशोक इंजीनियरिंग कॉलेज और अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के इन युवाओं को भोजनशाला तक लाने ले जाने के लिए जैन मिलन ने वाहन की व्यवस्था भी की है, जिससे सभी लोग एक समय पर आसानी से आकर भोजन ग्रहण कर सकें।
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भोजन ग्रहण करने से पूर्व देव आराधना |
विदिशा जैन मिलन के संस्थापक अध्यक्ष अतुल जैन बताते हैं कि अपने घरों से बाहर रहकर विदिशा में पढऩे आए बच्चों की समस्या को ध्यान में रखते हुए यह पहल समूह ने की है ताकि जैन धर्मावलंबी छात्र-छात्राओं का धर्म पालन होता रहे और उनमें धार्मिक प्रभावना बनी रहे। अतुल बताते हैं कि यह शहर के जैन धर्मावलंबियों और खासकर जैन मिलन के सदस्यों की पहल से ही संभव हो पा रहा है। पहले साल इस भोजन शाला में 27 युवाओं ने भोजन ग्रहण किया था। लेकिन अब ये संख्या 70 है। ये सभी छात्र-छात्राएं दोनों समय भोजन करने आते हैं। उनको सात्विक और निशुल्क भोजन ग्रहण कराकर हमें भी अपने धर्म का पालन करने की खुशी होती है।
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जैन मिलन द्वारा परोसा जाने वाला सात्विक भोजन |
वहीं भोजन करने आने वाले युवाओं का कहना है कि घर से बाहर पर्यूषण पर्व के दौरान इससे बेहतर सेवा और व्यवस्था कुछ और नहीं हो सकती। जैन मिलन की यह पहल केवल जैन मिलन के सदस्यों के ही धर्म पालन में मदद नहीं कर रही बल्कि घर से दूर दूसरे शहर में आकर रह रहे हम लोगों को भी सात्विक भोजन कराकर धर्म पालन में सहयोग कर रही है। इससे हमारे माता-पिता भी बहुत खुश और संतुष्ट हैं।
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