बस फिर क्या था धर्मपरायण मुख्यमंत्री ने भी पूरी आस्था के साथ मंदिर निर्माण में रुचि दिखाते हुए निर्माण शुरू कराया। और 2010 में इस मंदिर में गणेश जी की झांकी में स्थापित कराई गई वीणा बजाते हुए गणेश जी की प्रतिमा की ही तरह संगमरमर की भव्य प्रतिमा स्थापित कराई। मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शिवराज सिंह चौहान ने नसेनी पर चढंकऱ इसके शिखर पर कलश और ध्वज स्थापित कराया था। चूंकि यहाँ मौजूद मिट्टी की गणेश प्रतिमा बाढ़ में भी नहीं डूबी थी, इसलिए इस मंदिर का नाम भी बाढ़ वाले गणेश ही हो गया। अब यह भव्य, सूंदर और रमणीक स्थल हो गया है। अब वे इस मंदिर में अक्सर आते हैं और मत्था टेककर भगवान का धन्यवाद भी ज्ञापित करते हैं।
गणेशोत्सव में हर साल गणेश यज्ञ की पूर्णाहुति शिवराज सिंंह चौहान अब भी खुद अपने हाथों से और परिवार सहित ही देते हैं। वे यहां आकर पूजा-आरती ही नहीं करते, बल्कि गणेश जी के दरबार में चलने वाली अखंड रामचरित मानस पाठ में भी शामिल होकर रामचरित का पाठ करते हैं और मगन होकर भगवान के भजन भी खूब गाते हैं। यहां पूर्णाहूति के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं, लेकिन भंडारे में सबसे पहले शिवराज सिंह चौहान भगवान गणेश जी को भोग लगाकर कन्याओं को खुद अपने हाथों से प्रसादी परोसते हैं, फिर पंगत में बैठकर खुद भी प्रसादी ग्रहण करते हैं। यह मंदिर जन आस्था के केेन्द्र के रूप में स्थापित हो गया है।
Post a Comment