जब-जब चंद लोगों को लगता है कि उनको लोग भूलते जा रहे हैं तो ऐसे जुमलेबाजी, ऐसे बयानों के तीर अपने तरकश से निकालकर छोड़ दिए जाते हैं जिससे राख में फिर चिन्गारी भडक़ उठती है और जख्म हरे हो जाते हैं। जी हां, इस वक्त ये पंक्तियां कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं पर सटीक बैठ रही हैं। इत्तेफाक से दोनों ही मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, लेकिन पिछले काफी अर्से से खामोश बैठी आरोप-प्रत्यारोपों की चौपाल अब बयानबाजी से फिर चर्चा में आ गई है। इस बार भी पहला पांसा फेंका है दिग्विजय सिंह ने तो जवाबी दांव खेला है कमलनाथ ने। इन दोनों के बीच आए हैं केंद्रीय मंत्री और पूर्व में कांग्रेस के दिग्गज रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो अब मजे में हैं। सिंधिया को लेकर दिग्विजय और कमलनाथ आमने-सामने हैं। एक-दूसरे की कलई खोली जा रही हैं। दिग्विजय सिंह जी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दबे पन्ने खोलकर हंगामा मचा दिया तो उसके जवाब में कमलनाथ जी ने अपने एक्स पर अपनी बात रखकर खुद दिग्विजय को ही कांग्रेस की हार का जिम्मेदार बता दिया। नतीजा यह हुआ कि खामोश सी लग रही कांग्रेस फिर सुखियों में है और रिंग से बाहर नजर आ रहे दोनों वरिष्ठ नेता फिर चर्चा में हैं। लेकिन कांग्रेस की रिवायत का बदस्तूर पालन हो रहा है। सारी हस्ती मिटती जा रही है, लेकिन इस हस्ती को मिटने से बचाने के लिए तीर पर तीर चलाने का भ्रम अभी भी नहीं टूटा, ये तीर भी अपनों पर ही चलाए जा रहे हैं।
मप्र के दो दिग्गज कांग्रेसियों की इस तीखमतीख और आरोप-प्रत्यारोप से नई टीम खड़ी होने से पहले ही हतोत्साहित हो रही है। क्या करें इन नेताओं का जो सीढ़ी चढऩे से पहले ही कुर्ता खींचकर नीचे गिराने पर तुले रहते हैं। दिग्विजय सिंह कहते हैं कि मैंने यह कहा था कि दोनों(कमलनाथ-ज्योतिरादित्य) के बीच इस तरह लड़ाई चली तो मप्र की कांगे्स सरकार निपट जाएगी।
अब दिग्गी राजा को कौन समझाए कि वह तो जो होना था वो हो गया। लेकिन यदि अब भी नहीं संभले और सिर्फ दूसरों को ज्ञान देकर खुद विष बुझे तीर चलाते रहे तो कांग्रेस ही निपट जाएगी। लेकिन कौन किसे समझाए, पके हुए नेता हैं, सब जानते हैं, लेकिन हांसिए पर रहना स्वीकार नहीं। शायद इसलिए ऐसे तीर चलाकर अपने ही लोगों को, अपने ही संगठन को लहुलुहान करने के प्रयास चलते रहते हैं, जिससे खुद का अस्तित्व बचा रहे और किसी भी तरह सुर्खियां बने रहें। धन्य हो ऐसी कांग्रेस और ऐसे नेताओं का, जो खामोशी से संगठन को गढऩे की बजाय, अपने बयानों से संगठन को बर्बाद करने में ज्यादा चर्चित रहते हैं। खैर जनता को क्या, वो तो इन बयानों में और खींचतान का आनंद लेती है लेती रहेगी। यही हाल देखकर विदिशा जिले के एक वरिष्ठ कांगे्रसी निराश होकर कहते हैं कि मटियामेट कर देने के बाद भी बाज नहीं आ रहे हैं कांग्रेस के नेता। आइए, इस तीरंदाजी में अन्य वरिष्ठों का भी स्वागत है।
दिग्विजय का दावा-
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का दावा है कि 2018 में बनी कांग्रेस की सरकार के 15 महीने में पतन की वजह कमलनाथ थे। सिंह ने दावा किया है कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वैचारिक लड़ाई नहीं थी, बल्कि पर्सनेलिटी का टकराव था। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि- मैंने कभी नहीं कहा कि कमलनाथ सरकार को खतरा नहीं है। मैंने तो यह कहा था कि दोनों के बीच इस तरह लड़ाई चली तो मप्र की कांगे्रस सरकार निपट जाएगी।
कमलनाथ का जवाब-
अपने एक्स पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा है कि- मध्यप्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाडऩे से कोई फायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांगे्रस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिरायी।
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