कलमजा माता : अंधकासुर का वध करने इन्हीं देवी ने की थी महादेव की सहायता

 मंदिर में देवी  चांदी की मुखाकृति के रूप में विराजमान हैं

पुणे से करीब 120 किमी दूर और भीमाशंकर से चंद कदम की दूरी पर एक प्राचीन देवी मंदिर है। इस मंदिर में देवी माता सिंदूर पूजित प्रतिमा, चांदी की मुखाकृति के रूप में विराजमान हैं। बाद में यहां संगमरमर की सिंहवाहिनी माता की प्रतिमा स्थापित करा दी गई, मंदिर में माता की चांदी की चरणपादुकाएं भी मौजूद हैं। 

यह मंदिर कलमजा माता के नाम से विख्यात है। कलमजा माता देवी पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि जब महादेव ने भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग स्थापना से पहले अंधकासुर दानव का वध किया था, तो उसके वध में कलमजा माता ने ही महादेव की सहायता की थी। तब से ही इस देवी की मान्यता है। यह मंदिर भीमाशंकर से चंद कदम दूरी पर ही मौजूद है। मंदिर के द्वार पर कई प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं। परिसर में ही संत-महात्माओं का धूना है और मंडप में सिंह की प्रतिमा है। मंदिर के गर्भग्रह में देवी की प्राचीन सिंदूर पूजित प्रतिमा है, जिसके पीछे सिंहवाहिनी देवी प्रतिमा है, जबकि सबसे आगे की ओर देवी की चांदी की भव्य मुखाकृति और उनकी चरणपादुकाएं मौजूद हैं। भीमा शंकर दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थी कलमजा माता के दर्शन करना नहीं भूलते। 

Post a Comment

Previous Post Next Post